रविवार, 2 दिसंबर 2007
हिंदी कमेंटरीः एक पोस्ट मार्टम रिपोर्ट
दुनिया कहां से कहां आ गई. पायजामा क्रिकेट अब बरमूडा या कच्छा क्रिकेट में तबदील हो गया. टीवी आ गया. टीवी रंगीन हो गया. रिमोट कंट्रोल आ गया. सब्र कम हो गया. विज्ञापन बढ़ गये. मैच में स्पीड आ गई. केबल जाने लगा. डिश टीवी आने लगा. टी20 मैचों में अगर कुछ खास है तो वह रफ्तार है. और रफ्तार ही आज के समय का सबसे निर्णायक पहलू है. पर अपने हिंदी कमेंटेटर अभी भी उसी पुरानपंथ अधकचरेपन से बाहर नहीं निकले. वे अभी भी अंधे धृतराष्ट्र को महाभारत का आंखों देखा हाल सुना रहे है. उन्हें अभी भी लग रहा है कि लोग नसबंदी करवा कर फ्री रेडियो लेकर उनकी आवाज का जादू बिखेरे जाने की बेसब्र प्रतीक्षा में हैं. उन्हें अभी भी लग रहा है कि लोगों के पास जाने के लिए कोई भी और जगह नहीं है. वे अभी भी राष्ट्रभाषा का अलाउंस से खैनी खाते हुए देश की सेवा करने का गुरूर पाले हुए हैं. वे हिंदी की सेवा कर रहे हैं. वे देश की सेवा कर रहे हैं. वे प्रसार भारती की सेवा कर रहे हैं. वे हिंदी में स्नातकोत्तर, एम. फिल या पीएचडी हैं और उनके पास कोई ईश्वरीय पट्टा है जिसके तहत वे जैसे मन में आए देश के कानों में आंखों देखे क्रिकेट की धूल झोंक सकते हैं. हिंदी कमेंटरी पर सबसे बड़ा कमेंट उसी के कमेंटेटर हैं. वे विलंबित खयाल में पढ़े गये धीमी गति के समाचार है. वे बैलगाड़ी पर बैठकर एक स्पीडवे का हालाते हाजरा कर रहे हैं क्योंकि राजभाषा का दर्जा होने के कारण उनके पास लाइसेंस है हिंदी और क्रिकेट का बारह बजाने का. वे सरकारी इमारतों की पीकरंगी दीवारों की तरह बदरंग, उनकी टेबल की तरह टूटे, उनकी कुर्सियों की तरह पुरानी और उनकी फाइलों की तरह धूल खाई बातें कर रहे हैं. वे बूढ़े हो चले हैं. आपको पिछली बार ऐसा कब लगा जब हिंदी कमेंटरी में समय रहते कोई काम की, सूझबूझ की, दिलचस्पी भरी, प्रजेंस ऑफ माइंड का सुबूत दिया ? अजगर को याद नहीं पड़ता. वे भयावह तरह से नाखुश लोग हैं और साफ लगता है कि उनका यकीन डार्विन के विकासवाद पर नहीं. विचारों, कल्पना, सूझबूझ के अकाल और सूखे से ग्रस्त. वे मनुष्यता के ख़िलाफ अपराध हैं. हिंदी कमेंटरी में न तो कोई कल्पना शीलता है और न ही ये समझ पाने की कोई कोशिश कि लोगों को वह बताया जाए जो उन्हें नहीं पता. वे वही सब कुछ बता रहे हैं, जो 10 साल के बच्चे ने भी देखकर समझ लिया है. बच्चा रवि शास्त्री या नवजोत सिद्धू या सुनील गावस्कर को सुनना चाहता है, सिर्फ इसलिए नहीं कि वे अंग्रेजी बोलते हैं, बल्कि इसलिए वे जो कहते हैं, उसका मायने होता है, उससे बच्चे की जानकारी बढ़ती है, जो वह कहते हैं वह दिलचस्प है. कई बार बहुत मजाकिया भी. इसलिए जब दूसरी पंक्ति के क्रिकेटरों को हिंदी कमेंटरी बॉक्स में बुलाया जाता है, तो वे भी मुख्य कमेंटेटरों को देखकर मनहूसियत फैलाने लगते है. उन्हें लगता है इधर यही रिवाज है. अजगर की तरह क्या आपको भी ऐसा लगता है कि अगर मनिंदर सिंह पर ड्रग्स लेने के आरोप सही हैं, तो कहीं हिंदी कमेंटरी के कारण तो नहीं. ऐसा नहीं है कि वे ऐसा नहीं कर सकते थे. अरे जावेद जाफरी को सुनिये ताकेशीज कैसल में भयानक दिलचस्प बकवास करते हुए. अजगर उसे उस बकवास के कारण ही देखता है. उसमें तेजी है, कल्पना शीलता है, दर्शकों से राब्ता जोड़ने की कोशिश है, मजा है, प्रजेंस ऑफ माइंड है, अच्छी कॉपी है. हिंदी कमेंटरी पुनर्जीवन कमीशन बनाकर जावेद जाफरी को उसका हैड बना देना चाहिए. आप देखें तो नवजोत सिद्धू, रणवीर और विनय ये तीनों हिंदी का सॉफ्टवेयर अंग्रेजी में बेच रहे हैं. नवजोत को ही देखो तो कहां से कहां पंहुच गया. जितना उसका बैट नहीं चला, उससे ज्यादा जुबान चली. उसने पटियाला के देसी बिंबों को अंग्रेजी में ढाल कर पहले पैसा कमाया, फिर सांसदी, फिर एमएसएन पर सिद्धुइज्म पर पेज, फिर लॉफ्टर शो में मंहगा फरनीचर बनने का मौका, और फिर एमटीवी में अपनी नकल करवाने का सम्मान. बातन हाथी पाइए.और अपना हिंदी का कमेंटेटर भयानक लद्धड़ तरीके से पूरे देश के सामने हिंदी और कमेंटरी की आर्ट का बेसुरा मर्सिया गा रहे हैं. उनके पास अभी भी जो आदर्श हैं- सुशील दोषी और जसदेव सिंह- दोनों आकाशवाणी के दिनों के हैं. मुझे तो उनके नाम भी नहीं पता, क्योंकि वे सारे भर्ती का माल हैं. और वे इसके लिए जिम्मेदार नहीं है. हिंदी की कमेंटरी के प्रतिमान ही ऐसे स्थापित हो गये हैं, कि वे इस मंच पर सिर्फ मुरदा होने की एक्टिंग कर सकते हैं. और प्रसार भारती के लाख ऑटोनामस होने, करोड़ों का सरकारी और टैक्स पेयर का रुपया लेने के बाद भी वे उसका स्वाहा करने में तन मन पूरा लगा देते हैं. वे रोमांच के दारुण रोड़े हैं. बेतरतीब स्पीडब्रेकर. वे अजीब विद्रूपता के आइटम नंबर हैं. म्यूजिक आगे जा रहे है, लद्धड़ नचनिये पीछे पीछे हांफते हांफते दौड़ रहे हैं. टेलीग्राम की तरह अप्रासंगिक और गैरजरूरी. वे अतीत की आत्माएं हैं जो वर्तमान में भटक आई हैं. और गलत योनि में प्रवेश करने की कोशिश कर रही है. उधर से अंदर आना मना है.
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